Who is Radha Rani

who is Radha Rani?

Hare Krishna

Radhe Radhe


श्री राधा रानी को जनने से पहले श्री सच्चिदानंघं  श्री कृष्ण चंद्र भगवान को जनना ज़रूरी है

श्री कृष्ण अनन्त कोटी ब्रहमण्दो के स्वामी निराकार ब्रह्म हैं। जो  श्रीश्टि के आरम्भ से श्रीश्टि के अन्त तक समान रूप से विध्यमान हैं।

उन्ही निराकार  ब्रहम की परम शक्ति हैं श्री राधा

श्री राधा परमात्मा की वो शक्ति हैं जिनके द्वारा वो सारी रचना  करते हैं।

अर्थात् श्री राधा परम शक्ति हैं। उन्ही से इस श्रीश्टि मे सब सम्भव है

श्रीजी की इच्छा से निराकार ब्रहम गोलोक मे श्री कृष्ण के रूप मे अपनी परम शक्ति श्री राधा रानी के साथ वास करते हैं। 

श्रीजी के प्राकट्य की कथा-

गर्ग संहिता के अनुसार---- राधा द्वापर युग में श्री वृषभानु के घर प्रगट होती हैं। कहते हैं कि एक बार श्रीराधा गोलोकविहारी से रूठ गईं। इसी समय गोप श्रीधामा  प्रकट हुए। राधा का मान उनके लिए असह्य हो गया। उन्होंने श्रीराधा(shri radha) की भर्त्सना की, इससे कुपित होकर राधा ने कहा- सुदामा! तुम मेरे हृदय को सन्तप्त करते हुए असुर की भांति कार्य कर रहे हो, अतः तुम असुरयोनि को प्राप्त हो।

  • श्रीधामा काँप उठे, बोले-गोलोकेश्वरी ! तुमने मुझे अपने शाप से नीचे गिरा दिया। मुझे असुरयोनि प्राप्ति का दुःख नहीं है, पर मैं कृष्ण वियोग से तप्त हो रहा हूँ।
  • इस वियोग का तुम्हें अनुभव नहीं है अतः एक बार तुम भी इस दुःख का अनुभव करो। यह श्राप 100 वर्षो तक रहेगा। ऐसा कहकर वो चले गये।
  • सुदूर द्वापर में श्रीकृष्ण के अवतरण के समय तुम भी अपनी सखियों के साथ गोप कन्या के रूप में जन्म लोगी और श्रीकृष्ण से विलग रहोगी।
  • श्रीधामा को जाते देखकर श्रीराधा को अपनी त्रृटि का आभास हुआ और वे भय से कातर हो उठी। तब लीलाधारी कृष्ण ने उन्हें सांत्वना दी कि हे देवी ! यह शाप नहीं, अपितु वरदान है।
  • इसी निमित्त से जगत में तुम्हारी मधुर लीला रस की सनातन धारा प्रवाहित होगी, जिसमे नहाकर जीव अनन्तकाल तक कृत्य-कृत्य होंगे। इस प्रकार पृथ्वी पर श्री राधा का अवतरण द्वापर में हुआ।
  • राधा रानी बोली श्री कृष्ण से के वे गोलोक के बिना ,यहा की यमुना नदी गोवर्धन पर्वत वृक्ष गोप गोपियों के बिना कैसे पृथ्वी पर रह सक्ती हैं। तब भगवान ने 84कोस गोलोक को पृथ्वी कर अवतरित किया जिसका नाम बृज धाम पडा। जहां के कण कण मे भगवान का वास है।

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